हिन्दी – कुकरोंधा, जंगली मूली
संस्कृत – गंगापत्री, ककुंदर
परिचय – कुकरोंधा की ऊँचाई १ से ३ फुट ऊँचा होता है, इस पोधे के ऊपर रुए होते
है | और इसके पत्तों के किनारे
कटे हुए रहते है | बरसात के दिनों में ये सब जगह पेंदा हो जाते है यह भारत में
हर जगह पाये जाते है |
मात्रा – स्वरस १\२ से १ तोला तक | सूखे पानो का चूर्ण ५ से १५ रत्ती |
उपयोग – इस पोधे में कपूर पाया जाता है और चीन में इस पोधे से कपूर निकाला
जाता है इस कपूर को पत्री कपूर और नाग कपूर के नाम से जाना जाता है
इसके रस की भावना देने से अभ्रक भस्म १० पुट में ही सुंदर लाल रंग की मुलायम
बन जाती है | लोह भस्म भस्म बनाने के लिए भी इसके रस का प्रयोग किया जाता है |
आँख दुखने या लाल हो जाने पर कुकरोधा
रस २-२ बूंद सुबह साम डालने से आराम मिलता है |
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