Thursday, 29 October 2015

दूधी (dudhee)


                  नाम
          हिन्दी – दूधी, बड़ी दूधी
          संस्कृत – दुग्धफेनी, नागार्जुनी
          इंग्लिश -  Snake Week
                                     


परिचय – यह भारत के सब प्रदेशो में होता है | ऊँचाई १ से २ फीट | पान १ इंच लम्बे | इस दूधी में रस कुछ दूध जौसा निकलता है | इस पोधे में कुछ छोटे छोटे रस ग्रिन्थिया भी होती है | इस दूधी में एक छोटी जाती भी होती हैं |
दोनों के गुण धर्म एक जौसे है |

मात्रा – १० से २० बूंद | सूखा चूर्ण २ से ५ रत्ती |

उपयोग – यह पेट के कीड़ो को मरती है और खांसी के लिए भी हितकर है |
                                                                     
दन्तकृमि - बड़ी दूधी के मूल को चबाकर रस को मुह में २-४ मिनट रखने पर कृमि मर जाते है और बेदना ख़त्म हो जाती है | 
                 रक्तार्श
बड़ी दूधी के पानो का रस १-१ ग्राम मक्खन मिश्री के साथ ४-६ दिन तक रोज सुबह देते रहने से रक्तस्राव और दाह सहित बबासीर दूर हो जाते है |
                                      

1 comment:

  1. दूधी (dudhee)नामहिन्दी – दूधी, बड़ी दूधीसंस्कृत – दुग्धफेनी, नागार्जुनीइंग्लिश -Snake Weekपरिचय – यह भारत के सब प्रदेशो में होता है| ऊँचाई १ से २ फीट | पान १ इंच लम्बे | इस दूधी में रस कुछ दूध जौसा निकलता है | इस पोधे में कुछ छोटे छोटे रस ग्रिन्थिया भी होती है | इस दूधी में एक छोटी जाती भी होती हैं |दोनों के गुण धर्म एक जौसे है |मात्रा – १० से २० बूंद | सूखा चूर्ण २ से ५ रत्ती |उपयोग – यह पेट के कीड़ो को मरती है और खांसीके लिए भी हितकर है |दन्तकृमि - बड़ी दूधी के मूल को चबाकर रस को मुह में २-४ मिनट रखने पर कृमि मर जाते है औरबेदना ख़त्म हो जाती है |रक्तार्शबड़ी दूधी के पानो का रस १-१ ग्राम मक्खन मिश्री के साथ ४-६ दिन तक रोज सुबह देते रहने से रक्तस्राव और दाह सहित बबासीर दूर हो जाते है |

    ReplyDelete