हडजोड
परिचय – हडजोड की बेल चलती है और ६- ६ आंगुर में गांठ होती है | हडजोड कई
प्रकार की होती है , इसकी पहचान
दो धार, तीन धार, चार धार इस प्रकार से पहचाना जाता है |
उपयोग – (१). यह टूटी हुई हड्डी को जोड़ देती है, इसी से इसका नाम हडजोड पड़ा है
और पीने तथा लगाने के दोनों ही काम में आती है |
(२). हडजोड वात और कफ का नाश करने वाली है और कृमियो का नाश करती है, बबासीर
को दूर करती है और आँखों की बीमारियों को मिटाती है | पाचक, पित्तकारक, वीर्य को बढाने बाली है |
(३). हडजोड की लकड़ी का एक टुकड़ा लेकर उसके छिलके को दूर कर उसका चूरन कर और
फिर उसमे गीली उड़दकी छिलका रहित धुली दाल उससे आधी मिलाबे और दोनों को सिल पर खूब
महीन पीसे और उसी पिष्टी की बड़ी तिल के
तेल में बनावे, यह बढ़िया महान बात को नाश करने वाली है |
Teen dharr kaha milega
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