Thursday, 22 October 2015

पेठा (petha)


                    पेठा 

परिचय -: पेठा की बेल होती है, जो सब जगह पैदा हो जाती है इसके फूल पीले रंग के होते है और इसमे फल लगते है
और इसका फल बाहर से हरा और अन्दर से सफेद होता है 
                                               
(१). यह शीतल होता है
(२). शुद्ध रक्त पैदा करता है,
(३). दिल, जिगर और मेदा की गर्मी को शांत करता है ,
(४). गर्मी से होने बाले उन्मादों को हितकर है,
(५). वीर्य अधिक पैदा करती है, शरीर को मोटा और बलबान बनाती है, इसका मुरब्बा दिल और दिमाग को बलबान
बनता है, आनन्द को बढ़ाता है,गर्मी को शांत करता है |
(६). वीर्य को अधिक बढ़ाता है, शरीर को पुष्ट बनाता है धातु को बढ़ाता है, वस्ती का शोधन करता है |
(७). अत्यन्त बलकारक
(८). मूत्र, धात, मूत्र कृच्छ यानि रुक जाने और कष्ट से पेशाब करने को, प्रमेह को, पथरी, प्यास अरुचि, वातपित्त, रुधिर विकार यानि खून की खराबी और वीर्य दोषों का नाश करता है |  

No comments:

Post a Comment