Wednesday, 28 October 2015

अपामार्ग (Apamarg)


              नाम - आँधी झाडा, अपामार्ग, चिरचिरा
              इंग्लिश – Rough Chaff  Flower
                                
           
परिचय – अपामार्ग में दो जाति है | एक सफेद दूसरी लाल | दोनों प्रकार में क्षुप वर्षाऋतु आने पर निकल आते है
किसी-किसी स्थान पर यह बारहों मास रह जाते है | पुष्प इसके मंजरी पर आते है | फल नीचे मुड़े हुए भूरे या भूरे लाल रंग के | 

मात्रा – मूल ६ मासे से एक तोला | राख ५ से १५ रत्ती | क्षार २ से ४ रत्ती, घृत के साथ | बीज ६ मासे १ तोला | 

उपयोग -: 
                       
                   विषमज्वर 

अपामार्ग मूल को प्रात: काल उठने पर तुरंत वाये हाथ पर बांध देने से एवं अपामार्ग के पानो के चूर्ण को शहद में मिलाकर ज्वर बढ़ने के पहिले खिला देने से ज्वर रुक जाता है |

                   प्लीहावृद्धि 

अपामार्ग क्षार और गुड मिलाकर दिन में २ बार देने से थोड़े ही दिनों में प्लीहावृद्धि दूर हो जाती है |

                  कृमिरोग

अपामार्ग और शिरीष के पानो के स्वरस में शहद मिलाकर पिलाबे |

                  नेत्र रोग
नेत्र में फुला पड़ा हो, तो अपामार्ग के मूल को शहद में घिस कर अज्जन करते रहने से १-२ मास में कट जाता है |

रतौंधी वाले को रात्रि को सोने के समय अपामार्ग के मूल का चूर्ण १-१ तोला शहद में मिलाकर ३ दिन तक चटाने से
नेत्र दृष्टी स्वच्छ हो जाती है |

                   गर्भधारण योग 

अपामार्ग के मूल को दूध में घिस ऋतुस्नाता स्त्री को पिलाने से गर्भ धारण हो जाता है | जिस स्त्री का गर्भाशय शुद्ध हो और पुरुषका वीर्य सवल हो उनको लाभ मिल जाता है |
               मासिकधर्म  में बेदना 

मासिकधर्म के समय गर्भाशय संकोच होकर शूल चलता हो और मासिकधर्म शुद्ध न होता हो तो तीन दिन तक प्रतिदिन
अपामार्ग ताजे मूल को लाकर योनि में धारण करे |

                     निद्रानाश                                                      
 निद्रा न आने बाले को अपामार्ग और काकजंघा के क्वाथ दिन में २ बार पिलाने से रात्रि को शांत निद्रा आ जाती है |

                     कफवृद्धि 
अपामार्ग राख अदरख रस और शहद या केवल शहद के साथ दिन में ३ बार चटाने से कफ सरलता से निकल जाता है
  फिर कास और स्वास रोग दूर हो जाता है |
                              

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