Sunday, 1 November 2015

केंवाच (Kenvach)


                                                                                                       केंवाच
                     

परिचय – केंवाच की बेल चलती है और बीज सेम की तरह होते है, फलियाँ भी सेम के समान होती हैं अंतर यह होता है कि केंवाच की फलियों के ऊपर छोटे छोटे रोये होते है जिनके स्पर्स से अत्यन्त खुजली होती है |

उपयोग – यह अधिक वीर्य को उत्पन्न करती है |
धातु पुष्टकरक, स्तम्भक, बाजीकरण और बल करक हैं |

इसके पत्तों का रस निकालकर उसमे थोड़ी मात्रा में काली मिर्च डालकर पिलाने से पेट के कृमि मर जाते है |
  

कालादाना (kaladana)


             हिंदी - कालादाना ,
             संस्कृत – कृष्ण बीज ,
                    


परिचय – यह लता जाती की बनस्पति है | पंजाब में इसे काहलिया कहते है | इसका आयुर्वेद के प्राचीन ग्रन्थों में उल्लेख नहीं मिलता है |

उपयोग – यह पेट के कीड़ो और घावों के कीड़े को बाहर निकलता है शरीर पर पड़े हुए चट्टो को दूर करता है |

              दस्तावर दवा
सोंठ के साथ सेवन करने से पतले दस्त बंद हो जाते है और मल बंधा हुआ आता है |

              अन्य प्रयोग
काला दाना एक तोला, सोंठ एक तोला इन दोनों का चूर्ण सेवन करने से सिर दर्द, ज्वरादी रोगों में लाभ होता है |

पियाबांस (piyabans)


            पियाबांस, कटसरइच्चा 
                    

परिचय – यह एक प्रकार की जंगली घांस है, जिसमें कांटे होते है |

उपयोग – बुखार और दमें को ठीक करती है |
शहद के साथ खाने से नकसीर और मुँह से खून आने को लाभ करती है , पेशाब और मासिक स्राव को जो बंद हो उसको जारी करती है , और कफ को छांटती है और भूख को बढाती है |
 इसकी जड़ खांसी में काम आती है 

आयुर्वेद मतानुसार पियाबांस ४ प्रकार की होती है 

(१). सफ़ेद फूल की पियाबांस – कडुवा, मधुर, चरपरा गरम दांतों को लाभ दायक और विष दोष निवारक होता हैं |

(२). पीले फूल का पियाबांस – गरम, कडुवा, कसेला वात, कफ, खुजली, रक्त विकार, और चर्म रोगों को दूर करता
है |
(३). नीले फूल का पियाबांस -   वात, कफ, खुजली, और फोड़ा व फुंसियो को दूर करने बाला है |

(४). काले फूल का पियाबांस - वात, कफ, खुजली, सूजन और बात बिनासक है |

(५). लाल फूल का पियाबांस - वात, कफ, खुजली, बुखार और श्वास को दूर करने बाला है |
  

Saturday, 31 October 2015

बकुची (bakuchi)


                 बकुची                      
                   

परिचय – बकुची का पोंधा होता है, पत्ते ग्वार के समान होते है, फूल और फल गुच्छों में आते है |
उसमे बीज काले और गोल होते है |

उपयोग – भूक लाती है, सफेद दाग, खुजली और कोड को ठीक करती है |
कफ के बुखारो के लिए लाभदायक है |
बकुची शरीर के वर्ण को सुन्दर बनाती है |

रक्त पित्त का नाश करती है |
ह्रदय का हित करने बाली है |
स्वास और कोड का नाश करने वाली है |
केशो को लम्बे और घुघराले बनाती हैं |
त्वचा को सुन्दर और कोमल करती है |
वमन और कफ के लिए लाभदायक है |

कुकरोंधा (kukrondha)


                                                             
           हिन्दी – कुकरोंधा, जंगली मूली
           संस्कृत – गंगापत्री, ककुंदर

परिचय – कुकरोंधा की ऊँचाई १ से ३ फुट ऊँचा होता है, इस पोधे के ऊपर रुए होते है | और इसके पत्तों के किनारे
कटे हुए रहते है | बरसात के दिनों में ये सब जगह पेंदा हो जाते है यह भारत में हर जगह पाये जाते है |
मात्रा – स्वरस १\२ से १ तोला तक | सूखे पानो का चूर्ण ५ से १५ रत्ती |

उपयोग – इस पोधे में कपूर पाया जाता है और चीन में इस पोधे से कपूर निकाला जाता है इस कपूर को पत्री कपूर और नाग कपूर के नाम से जाना जाता है 

इसके रस की भावना देने से अभ्रक भस्म १० पुट में ही सुंदर लाल रंग की मुलायम बन जाती है | लोह भस्म भस्म बनाने के लिए भी इसके रस का प्रयोग किया जाता है |

  आँख दुखने या लाल हो जाने पर कुकरोधा रस २-२ बूंद सुबह साम डालने से आराम मिलता है |